Category Archives: Uncategorized

इरतिक़ा

View Post

इरतिक़ा - Evolution

जो जैसा है सदा वैसा नहीं था
घड़ा कच्चा था जब पक्का नहीं था 

भरोसा उस पे कम रखती थी दुनिया,
ज़माने ने उसे परखा नहीं था

छिपे किरदार में कितने हुनर थे,
वो शोला था, मगर दहका नहीं था

सिखाया वक़्त ने, कुछ हौसले ने,
कड़ी मेहनत से जो डरता नहीं था

तरक़्की के बुना करते थे सपने,
दिल-ए-नाकाम का चर्चा नहीं था

बहुत अरमान थे मन में हमारे,
वो मज़हब का कोई मसला नहीँ था

नहीं खुदगर्ज़ थे, नादान थे तब
हुक़ूमत का हमें चस्का नहीं था

हुआ फिर नाम उसका भी जहाँ में
कोई उसके सिवा दिखता नहीं था

हुक़ूमत का अजब दस्तूर देखा,
वो कहता था बहुत, सुनता नहीं था

जो हाथों हाथ ले लेता था मुझको,
कल उसने देख कर देखा नहीं था

सम्हालो, ध्यान से, टूटें न नाते,
मैं तुमसे बारहा कहता नहीं था

अभी तो और आयेंगे हजारों,
ज़माने में कोई यकता नहीं था

बहुत कुछ भूल पाया ज़िंदगी में,
तुझे पर भूल मैं सकता नहीं था

प्रताप श्रीवास्तव – 14 फरवरी 2020

इलाहाबाद में

इलाहाबाद में पापा और चाचा शाम को बैठे टीवी पर कोई देख रहे थे. इस दृश्य से प्रेरित,

एक कुण्डली:-

चाचा पापा देखते, टीवी पर वृत्तान्त,
जाने कब तक होएगा, इस ड्रामे का अंत –
इस ड्रामे का अंत सखी कभहूँ ना होए,
क्रूर हँसे बलवंत, नायिका जाए रोये –
कुटिल नारियां फैलायें घनघोर सियापा,
यत्न समझाने का करते हैं चाचा पापा
दोहे –
नौ रस से परिपूर्ण ये, नाट्य कथा का दौर,
दृष्टि पटल पर घूमता, किन्तु सखी कुछ और,
नब्बे बरसों की कथा आने लगी समक्ष,
विधि का लिख्खा सीरियल, और न कुछ समकक्ष –
दुःख और सुख दोनों मिलें, जीवन के पर्यंत,
पतझड़ उतने भोगने, जितने मिले वसन्त-
आंखों में अवसाद औ, होंठों पर मुस्कान,
साथ पहनना ओढ़ना, पाया है ये ज्ञान –

  • प्रताप श्रीवास्तव

बदला हुआ है मौसम

बदला हुआ है मौसम, कुछ सर्द हैं हवाएँ,
बदले हुए हैं तेवर, बदली सी हैं फ़िज़ाएँ  

छोड़ो भी गिले शिकवे, छोड़ो भी इल्तिजाएँ,
ज़ख्मों को भला कब तक, यूँ खोल कर दिखाएँ

कोशिश तो कर रहा हूँ, कितने जतन किए हैं,
भरतीं नहीं हैं फिर भी, आखिर मेरी ख़लाएँ

अन्जान नेकियाँ थीं जो आप हम मिले थे
अनजान वो गुनाह थे, जो दे गए सज़ाएँ 

लो काम मोहब्बत से, कोशिश करो अमन की,
जंगों से महज़ रहबर, बनती हैं करबलाएँ

मानेंगे तुम को क़ायद, आवाम बन्दापरवर,
छूटे हैं जो सफ़र में, देदें अगर दुआएँ

 - प्रताप श्रीवास्तव – 10-12-2019
खलाएँ – खाली जगह, empty spaces
रहबर – नेता
क़ायद – नेता, राह दिखाने वाला